दोस्तों ओलंपिक खेलो कि तरह ही पैरालंपिक खेलो का भी एक अलग ही महत्व है इन खेलो का उदृेृेश्य शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग लोगो को मुख्य धारा से जोड़ना है ओर आज इन्हें ऐसा करने में कामयाब होते साफ देखा जा सकता हैै क्योंकि जब कोई खिलाड़ी पदक जितता है तो वह अपना और अपने देश का तो नाम रोशन करता ही है पर साथ ही वह अपने जैसे कई हजारो साथियों के जीवन में जिंदगी की एक नई उमंग को भर देता है और कुछ ऐसा ही उमंग और जोश 2021 टोक्यो में आयोजित खेल में भारत के खिलाड़ीयों द्वारा दिखाया गया जिसने 2021के खेलो को भारत का अब तक का सबसे सफल खेेल बना दिया।
चूंकि मित्रों टोक्यो 2021 में आयोजित पैरा गेम्स में भारत का अब तक का सर्वक्षेष्ठ प्रदर्शन रहा है और जंहा भारत ने 5 स्वर्ण (Gold), 8 रज़त (Silver), और 6 कांस्य (Bronze) सहित कुल 19 पदक (Medals) जीतने के साथ ही भारत 24वें स्थान पर रहा है। तो इस बार सरकारी परीक्षा कि दृष्टि से यह टाॅपिक आपकेे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है, और आगे आने वाले सभी एग्जाम जैसे रेल्वे (Railway), एसएससी (SSC), बैकं (Bank), स्टेट PSC और विभिन्न राज्यों में ओयाजित होने वाले वन डे एगज़ा़म (one day exam) में आपको यहां से प्रश्न देखने को जरूर मिलेंगे।
तो आइए जानते हैं पैराालंपिक खेलो के इतिहास और उनसे जुड़े परीक्षा उपयोगी विभिन्न तथ्यों के बारे में साथ ही इस वर्ष के पदक विजेताओं के बारे में भी हम जानेगें।
पैरालंपिक खेलो कि शुरूआत / The start of the Paralympic Games
ओलंपिक खेलो कि तरह ही पैरालंपिक खेल (Paralympic Games) का अपना ही एक अलग महत्व है यह खेल भी हर 4 वर्षो में ओलंपिक खेलो के खत्म हो जाने के बाद खेले जाते हैं। इन खेलो कि शुरूआत वर्ष 1960 में रोम (Rome) शहर से कि गई थी।
पेरालंपिक खेलो की खास बात तो यह है कि इन खेलों के आयोजन का उदृेश्य जीवन में मानसिक व शारीरिक रूप से विंकलाग लोंगो के मनोबल को बढाना और उनके आत्मविश्वास को मजबूत करना है।
आखिर पैरालंपिक खेलों की शुरुआत कैसे हुई ? / How did the Paralympic Games start?
पैरालंपिक खेलों के शुरुआत की कहानी बड़ी दिलचस्प है. इन खेलों के मौजूदा स्वरुप की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद घायल सैनिकों को मुख्यधारा से जोड़ने से हुई। कयोंकि द्वितीय विश्व युद्ध में हजारों सैनिक को अंग की हानि व स्पाइनल इंज्यूरी हुई जिनके इलाज में ब्रिटिश सरकार के अनुरोध पर स्टोक मानडेविल अस्पताल (Stoke Mandeville Hospital) के नियोरोलोजिस्ट सर गुडविंग गुट्टमान (Goodwing Guttman) ने उनका इलाज शुरू किया और कुछ समय पश्चात पाया कि सैनिकों के रिहेबिलेशन के लिए खेल का बहुत योगदान होगा ।
पहली बार इन खेलों को सिर्फ मनोरजन की दृष्टि से इंटरनेशनल स्टोक मैंडविले गेम्स फेडरेशन (International Stoke Mandeville Games Federation) के तत्वावधान में आयोजित किया गया। वर्ष 1948 और 1952 में युद्ध लड़ने वाले पुराने सैनिकों के लिए स्टोक मैंडविले गेम्स (Stoke Mandeville Games) आयोजन ही आगे चल कर पैरालंपिक खेलो का रूप ले लिया। जिसके बाद के बाद 1960 में रोम (Rome) में पहली बार पैरालिम्पिक्स गेम्स आयोजित किए गए। जहां पर पहली बार सैनिको के अलावा आम लोगों को भी इन खेल में भाग लेने का मोाका मिला ।
पैरालंपिक खेल में भारत का सफर / India’s Journey in Paralympic Games
पैराालंपिक खेलो में भारत के सफर की शुरूआत होती है पैरा खेलों के तीसरे संस्करण से जिसका आयोजन वर्ष 1968 में इज़राइल के प्रमुख शहर तेलअवीव में किया गया था। जहां भारत ने पहली बार अपना प्रतिनिध मण्डल भेजा। जिसमें 8 पुरुष और 2 महिलाएं सहित 10 एथलीटों शामिल थे। हालांकि, भारत को इस वर्ष कोई भी पदक हांसिल नही हुआ ।
भारत का पहला स्वर्ण पदक : मुरलीकांत पेटकर / India’s first gold medal: Murlikant Petkar
मुरलीकांत पेटकर 1972 हैडिलवर्ग / Murlikant Petkar 1972 Haidilvarga
वर्ष 1972 में जर्मनी के हीडलबर्ग (Germany’s Heidelberg) में आयोजित गेम्स में भारत के पैरालिंपिक खिलाड़ी मुरलीकांत पेटकर (Murlikant Petkar) ने 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी (50 meters freestyle swimming) में स्वर्ण पदक (gold medal) जीता और इतना ही नही उन्होंने 37.331 सेकंड का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया।
मुुरलीकांत (Murlikant) भारतीय सेना की इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (EME) यूनिट से थे और वर्ष 1965 में हुए भारत- पाक युद्ध में उन्हें नौ गोलियां लगी थी और एक गोली उनकी रीढ़ की हड्डी पर लगी थी। जिससे उनके शरीर के नीचे के हिस्से को लकवा मार गया था।
एक ही पैैरालंपिक में 3 पदक जीतने वाले खिलाड़ी / Players who have won 3 medals in the same Paralympics
जोगिंदर सिंह बेदी और भीमराव केसरकर :1984 स्टोक मंडेविले/न्यू यॉर्क / Joginder Singh Bedi and Bhimrao Kesarkar :1984 Stoke Mandeville/New York
यह बात है वर्ष 1984 कि यह भारत का अब तक का सर्वक्षेष्ट प्रदर्शन रहा और इस खेल में भारत के जोगिंदर सिंह बेदी (Joginder Singh Bedi) ने 3 अलग अलग खेलों में 3 पदक जीत कर इतिहास रच दिया।
बेदी ने पुरुषों के शॉट पुट(shot put) में रजत पदक (silver medal) जीता और फिर डिस्कस थ्रो (discus throw) और जेवलिन थ्रो (javelin throw) में 1-1 कांस्य पदक (bronze medals) जीते थे।
इसी खेल मे भीमराव केसरकर (Bhimrao Kesarkar) ने जेवलिन थ्रो (javelin throw) में रजत पदक (silver medal) पर कब्जा जमाकर भारत के लिए चौथा पदक जीतकर देश को गौरांवित किया।
नमिता गोखले को ‘यामिन हजारिका वमन ऑफ सब्सटेंस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया ।https://www.sarkaricircle.com/blog/current-affairs-hindi/current-affairs-of-8th-of-september-2021-in-hindi/#namita-gokhle
जानियें आखिर कौन हैं :- नमिता गोखले
एथेंस में देवेंद्र झाझरिया ने दिलाया भारत को स्वर्ण पदक / Devendra Jhajharia gave gold medal to India in Athens
देवेंद्र झाझरिया और राजिंदर सिंह राहेलू : 2004 एथेंस / Devendra Jhajharia and Rajinder Singh Rachelu : 2004 Athens
2004 के एथेंस (Athens) में आयोजित पैरालंपिक (Paralympics) में भारत की झोली में 1 स्वर्ण (Gold) व 1 कास्यं पदक (Bronze) आये। देवेंद्र झाझरिया (Devendra Jhajharia) जिनका बिजली के करंट लगने के कारण हाथ पूरी तरह से खराब हो गया था बावजूद इसके उन्होंने ना सिर्फ पैरालंपिक के लिए क्वालिफाइ हुए बल्कि जेवलिन थ्रोअर (Javelin Thrower) ने स्वर्ण पदक (gold medal) जीत कर देश का नाम भी रोशन किया और देश के कई युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बने। इनकी प्रतिभा के चलते 2005 में इन्हें अर्जुन अवॉर्ड (Arjuna Award) और 2012 में पद्मश्री (Padma Shri) जैसे सम्मानों से सम्मानित किए गया।
उनके अलावा साथ ही में राजेंद्र सिंह रहेलू (Rajendra Singh Rahelu) ने 56 किलो वर्ग की श्रेणी में पॉवरलिफ्टिंग (powerlifting) में कांस्य पदक (bronze medal) अपने नाम किया। 2006 में उन्हें अर्जुन अवार्ड (Arjuna Award) से सम्मानित किया गया था। राजिंदर जब 8 महीने के थे, तब वह पोलियो के शिकार हो गए थे।
गिरीशा एन. गौड़ा – 2012 लंदन / Girisha N. Gowda -2012 London
गिरीश होसानगरा नागराजेगौड़ा (Girish Hosanagra Nagarajegowda) ने 2012 लंदन (London) पैरालिम्पिक खेलों (Paralympic Games) में मेल हाई जंप F-42 (Male High Jump F-42) वर्ग में रजत पदक (silver medal) जीता।
2012 में भारत को मात्र एक रजत पदक (silver medal) से ही संतोष करना पड़ा परतुं अपनी अद्भुत हैरान करने वाली कला को दिखाकर गिरीश ने सभी का दिल जीत लिया, असल बात यह थी कि गिरीश के बाएं पैर में समस्या है. ऐसे में हाई जंप करना नामुमकिन सा है। किन्तु, अपनी खास कैची तकनीक का प्रयोग करते हुए उन्होंने ना केवल असंभव लगने वाले इस काम को संभव बनाया अपितु रजत पदक जीतकर देश को गौरांवित भी किया।
2016 रियो पेरालंपिक में बेहतर प्रदार्शन : जीते 2 स्वर्ण, 1 रजत, 1 कास्यं / Best performance in 2016 Rio Paralympics: Won 2 Gold, 1 Silver, 1 Bronze
2016 में भारत ने रियो पैरालंपिक गेम्स (Rio Paralympic Games) में चार पदक के साथ अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन प्रस्तुत किया। जहां मरियप्पन थंगावेलु और देवेंद्र झाझरिया (Mariyappan Thangavelu and Devendra Jhajharia) ने क्रमशः ऊंची कूद (high jump) F42 और जेवलिन थ्रो (javelin throw) F46 में एक-एक स्वर्ण पदक (gold medal) जीता, तो वहीं दीपा मलिक (Deepa Malik) ने भी शॉट पुट में रजत पदक (silver medal) हांसिल किया आपको येे बता दे कि दीपा मलिक पैरालंपिक में पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं। दीपा मलिक को 2012 में अर्जुन पुरस्कार, 2017 में पद्म श्री और 2019 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार मिला। इसके साथ ही दीपा मलिक भारत की पैरालंपिक कमेटी की अध्यक्ष हैं। और साथ ही वरुण सिंह भाटी (Varun Singh Bhati) ने ऊंची कूद F42 श्रेणी में कांस्य पदक (bronze medal) अपने नाम किया।
टोक्यो पैरालंपिक 2020/21 में भारत का सर्वक्षेष्ठ प्रदर्शन : रिेकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन/ India’s best performance in Tokyo Paralympics 2020/21: Record breaking performance
नीचे दी गई तालिका में आपको 2020 में टोक्यो पैरालंपिक खिलाड़ीयों कि नाम उनकें द्वारा जीते गए पदक व वह किस खेल से किस वर्ग के लिए खेलते हैै दिया गया है । यह तालिका आपके एग्ज़ाम कि दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगी।
खिलाड़ी | खेल | पदक |
अवनि लखेरा | वूमेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्टैंडिंग SH1 | गोल्ड |
सुमित अंतिल | सुमित अंतिल | गोल्ड |
मनीष नरवाल | मेंस 50 मी पिस्टल SH1 | गोल्ड |
प्रमोद भगत | मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL3 | गोल्ड |
कृष्णा नागर | मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SH6 | गोल्ड |
भाविना पटेल | वूमेंस सिंगल्स टेबल टेनिस क्लास 4 | सिल्वर |
निषाद कुमार | मेंस हाई जंप T47 | सिल्वर |
देवेंद्र झजारिया | मेंस जेवलिन थ्रो F46 | सिल्वर |
योगेश कथुनिया | मेंस डिस्कस थ्रो F56 | सिल्वर |
मरियप्पन थंगावेलु | मेंस हाई जंप T42 | सिल्वर |
प्रवीण कुमार | मेंस हाई जंप T64 | सिल्वर |
सिंहराज अधाना | मेंस 50 मी पिस्टल SH1 | सिल्वर |
सुहास यतिराज | मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL4 | सिल्वर |
सुंदर सिंह गुर्जर | मेंस जेवलिन थ्रो F46 | ब्रॉंज |
सिंहराज अदाना | मेंस10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग SH1 | ब्रॉंज |
शरद कुमार | मेंस हाई जंप T42 | ब्रॉंज |
अवनि लखेरा | वूमेंस 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन शूटिंग SH1 | ब्रॉंज |
रविंदर सिंह | मेंस इंडिविजुअल रिकर्व, आर्चरी | ब्रॉंज |
मनोज सरकार | मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL3 | ब्रॉंज |
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